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Marriage act 1955 में 38 धाराएं है जिस में धारा 13 तलाक के मामलों के लिए है। इस धारा के अनुसार सहमति से तलाक की अर्जी देने से पहले उन दोनों को  1 साल अलग रहना होगा 

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Hindu marriage act में जो divorce law है वो हिंदुओं के अलावा बौद्ध, जैन, और सिखों पर भी लगते है। पर मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग से है 

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हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार यदि किसी को तलाक लेना है तो उसके लिए कुछ आधार है जिनके आधार पर तलाक मिल सकता है। इस तथ्यों को अदालत में सिद्ध करना पड़ता है। 

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व्यभिचार  divorce law in india के अनुसार यदि पति या पत्नी दोनो में से कोई भी किसी दूसरे के साथ किसी प्रकार के शारीरिक संबध बनाता है तो यह तलाक का मुख्य कारण बनता है 

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घरेलू हिंसा - तलाक के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण घरेलू हिंसा ही है। जब पति पत्नी दोनो में से कोई भी किस के साथ मारपीट करता है और ये कोर्ट में सिद्ध हो जाता है तो तलाक हो जाता है 

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यदि पति या पत्नी विवाह से पहले किसी प्रकार का जो उसे रोग जैसे की कुष्ठ रोग, hiv, एड्स या को यौन रोग हो और वो अपने पार्टनर को न बताए तब भी यह तलाक का कारण बन सकता है 

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जबरन धर्म परिवर्तन यदि कोई शादी के बाद किसी का जबरदस्ती  धर्म परिवर्तित करता है या ऐसा करना चाह रहा हो तो ऐसे मामलों में भी कोर्ट तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लेगा 

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यदि कोई बहुत बीमार हो जाए जिस से की उसकी मृत्यु की संभावना हो या फिर कोई अपने पति या पत्नी का परित्याग कर देता है ऐसे मामलों में भी कोर्ट तलाक की मांग को मंजूर कर देता है 

पेटेंट बहाली की प्रक्रिया न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि उद्योगों और वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी की प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है