23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है 23 मार्च 1931 को भगत सिंग, राजगुरु और सुखदेव महान स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। 23 मार्च इन शहीदों को अर्पित है
Image source Unsplash
23 मार्च 1931 के दिन से स्वतंत्रता की लड़ाई को इन तीनों महान वीरों की शहादत ने नई ऊंचाइयों की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
Image source Unsplash
इस दिन से भारत के क्रांतिवीरों में एक नया उत्साह भर गया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी से सारे भारतीयों को अतमनिर्भता की और अग्रसर किया
Image source Unsplash
23 मार्च को याद करते हुए हमे उन वीरों को याद करना चाहिए जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए हस्ते हस्ते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
Image source Unsplash
इस दिन को याद करते हुए हमे शहीदों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए। क्योंकि जो आज हम आराम से कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है ये इन्ही के बलिदान से संभव हो सका है
Image source Unsplash
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शाम 7 बजे फांसी दी गई थी जब उन्हें फांसी दी गई थी तो सारी जेल में इंकलाब जिन्दाबाद के नारे गूंज रहे थे
Image source Unsplash
फांसी से पहले ये तीनों महान क्रांतिकारी 2 साल जेल में रहे थे और जेल में अंग्रेजों के कानूनों को झेल रहे थे वो पत्र लिख कर अपने साथियों और घरवालों से बात करते थे